शायरी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्द

शायरी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले सब्द
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शायरी के शौखीन बहुत लोग होते हैं पर शायरी के शब्दों को सही से न जान पाने की वजह से कुछ लोग शायरी का अर्थ समझ नहीं पाते हैं

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Urdu Hinglish Hindi English
محبوب Mahboob जानम Beloved
تنہائی Tanahaee अकेलापन Loneliness
آشنا Aashna प्रेमपात्र Loving
دیوانہ Deewana पागल Crazy
محبت Mohabbat प्रेम Love
وصل Vasl मिलन Meeting
زندگی Zindagii ज़िंदगी Life
راحتیں Raahaten, Rahat राहतें, राहत Rest, Comfort
رنجش Ranjish रंजिश Hostility
جنت Jannat स्वर्ग Paradise
حقیقت Haqiiqat सच्चाई Reality
لیکن Lekin परंतु But
بلند Buland उठा हुआ Raised
تقدیر Taqdiir भाग्य Destiny
رضا Razaa रज़ा Willingness
قبر Qabr क़ब्र Grave
سادگی Saadgii कोरापन Simplicity
جہاں Jahaan संसार Universe
ستاروں Sitaaron सितारों Stars
ارمان Armaan लालच Longing
چراغاں CharaaGaa दीपोत्सव Display of Lamps
خنجر Khanjar कटार Dagger
کرامات Karaamaat चमत्कार Miracles
داغ Daag धब्बा Stain
قتل Qatl हत्या Murder
توجہ Tavajjoh ध्यान देना Attention
آزما Aazmaa परख Try
تغافل Tagaaful उपेक्षा Neglect
الٰہی Ilaahii ख़ुदा of God
زخموں Zakhmo घाव Wounds
Furkan S Khan

देश दुनिया में रह रहे भारतीय प्रवासियों से सम्बंधित समाचार, यहां मुख्य रूप से सऊदी अरब एवं गल्फ देशों में रह रहे भारतीय प्रवासियों से सम्बंधित हिन्दी भाषा में समाचार एवं शायरी प्रकाशित की जाती है, ताजा अपडेट के लिए बनें रहे हमारे साथ, (मूड क्यों है आप का खराब हमें फॉलो करें न जनाब) facebook twitter instagram youtube

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फखरपुर का अर्थ
फखरपुर, यह नाम अपने आप में गर्व और सम्मान का प्रतीक है। फखर शब्द का अर्थ गर्व है, जो इस क्षेत्र के लोगों के आत्मसम्मान और गरिमा को दर्शाता है। दूसरी ओर, पुर का मतलब स्थान या नगर होता है, जो इस भूमि के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को इंगित करता है। इस प्रकार, फखरपुर गर्व और सम्मान से भरे एक स्थान का प्रतीक है, जो इसके लोगों की विरासत और गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए है।
Name In English
Fakharpur
বাংলায় নাম
ফখরপুর
हिंदी में नाम
फखरपुर
اردو میں نام
فخرپور
आगामी त्योहार | 2025
Calendar Programed by Furkan S Khan
Festival Name: English New Year
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वर्तमान समय
Monday, June 9, 2025
1:08:31 PM
मौसम
स्थानीय नाम
फखरपुर
ब्लॉक का नाम
पखरपुर
देश
Indian Flag भारत
महाद्वीप
एशिया
राज्य
Seal of UP उत्तर प्रदेश
प्रमंडल
देवीपाटन
क्षेत्र
गोरखपुर
जिला
Bahraich Clock Tower बहराइच
तहसील
कैसरगंज
लोकसभा क्षेत्र
कैसरगंज संसदीय क्षेत्र
विधानसभा क्षेत्र
कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र
विधायक
आनंद कुमार यादव (सपा)
सांसद
करण भूषण सिंह (भाजपा)
डाकघर का नाम
फखरपुर
संस्थापक
फखर खान (कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं)
सरकार
लोकतांत्रिक
सभा
ग्राम पंचायत
ग्राम प्रधान
शकील खान और नमून खान
वर्तमान में, फखरपुर में 86 ग्राम पंचायतें शामिल हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख माधवपुर है, जो न्यायिक परिषद के रूप में कार्य करती है, जबकि घासिपुर इसका राजस्व परिषद है।
क्षेत्र का नाम
99.999984563 (247.105 एकड़)
आकार देशांतर / अक्षांश
2.09215 किमी (1.3 मील) / 2.57495 किमी (1.6 मील)
ऊँचाई
121 मी (396.982 फीट)
आधिकारिक
हिन्दी
बोलचाल की भाषा
हिंदी उर्दू अवधी अंग्रेजी
समय क्षेत्र
(UTC +5:30)
तिथि और समय प्रारूप
DD/MM/YYYY
(उदाहरण: 15 अगस्त 1947)
पिन कोड
271902
एसटीडी कोड
05251
चालक दिशा
बायाँ
मुद्रा का नाम
भारतीय रुपया (INR)
देश का कॉलिंग कोड
+91
इंटरनेट टीएलडी
.in
वेबसाइट पर सामग्री और प्रोग्रामिंग फुरकान एस. खान द्वारा की गई है, और कई तथ्य ऐतिहासिक स्रोतों से लिए गए हैं।
आधिकारिक वेबसाइट
प्रारंभिक इतिहास: मुगल और ब्रिटिश युग
मुगल और ब्रिटिश शासन

मुगल और ब्रिटिश शासन फखरपुर का इतिहास मुगल और ब्रिटिश युग से गहराई से जुड़ा हुआ है। इन अवधियों के दौरान, फखरपुर वह स्थान था जहां एक शाही दरबार आयोजित किया जाता था और एक स्थानीय राजशाही स्थापित की गई थी।

राजाओं का शासनकाल ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में राजशाही 1950 तक चली। फखरपुर के बुजुर्गों का कहना है कि उस समय के अंतिम राजा मुनवा साहिब थे। मुनवा साहिब के बाद, उनके पुत्र लाल साहिब को भी राजा कहा जाता था, और लाल साहिब के बाद उनके पुत्र कुन्नू भैया को अंतिम राजा के रूप में जाना जाता था। यद्यपि यह पुष्टि करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है कि वे वास्तव में राजा थे, क्षेत्र में एक प्राचीन हवेली का अस्तित्व इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण महत्व को दर्शाता है।

तहसील और विधानसभा का गठन और विघटन
तहसील के रूप में मान्यता

तहसील के रूप में मान्यता 1980 के दशक तक, फखरपुर एक तहसील के रूप में मान्यता प्राप्त था, जो एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई थी। इस तहसील में कई गाँव और कस्बे शामिल थे और यह क्षेत्र की शासन व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।

विधानसभा क्षेत्र फखरपुर एक समय में एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र था। इस क्षेत्र के निवासी विधायी चुनावों में भाग लेते थे और यह अपने राजनीतिक महत्व के लिए जाना जाता था। हालांकि, 2007 में अंतिम चुनाव हुआ और 2012 में, इस विधानसभा क्षेत्र को भंग कर दिया गया और कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, जिससे फखरपुर की राजनीतिक पहचान में बदलाव आया।

प्रमुख स्थल - ठाकुर द्वारा हवेली
हवेली का महत्व

हवेली का महत्व फखरपुर बाजार में स्थित ठाकुर द्वारा हवेली एक प्राचीन और भव्य संरचना है, जो यह सुझाव देती है कि यह कई शताब्दियों पुरानी है।

धन की कहानियाँ स्थानीय बुजुर्गों और 1970 व 80 के दशक के लोगों के अनुसार, हवेली कभी सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं से भरी हुई थी, जिन्हें सरकार ने कथित तौर पर ट्रकों में लादकर जब्त कर लिया था। यह भी माना जाता है कि हवेली के नीचे कई भूमिगत कक्ष थे, जो खजाने से भरे हुए थे।

लोककथाएँ और परंपराएँ
ठकुराइन की अंगूठी की कहानी

ठकुराइन की अंगूठी की कहानी एक प्रसिद्ध स्थानीय कहानी बताती है कि कैसे सरकार ने हवेली की मालकिन, जिन्हें ठकुराइन के नाम से जाना जाता था, के हाथ से एक हीरे की अंगूठी जबरन ले ली, जिसके बाद वह हवेली छोड़कर चली गईं। यह कहानी उस समय की हवेली के महत्व और समृद्धि का प्रतीक है।

फखरपुर की अन्य प्रमुख हस्तियाँ
बहादुर सेठ

बहादुर सेठ फखरपुर के इतिहास में एक और प्रमुख व्यक्ति बहादुर सेठ हैं, जो एक प्रमुख शख्सियत थे, जिनके वंशज अभी भी टेटहरा गांव में रहते हैं। उनके पिता और दादा भी फखरपुर के प्रमुख व्यक्तियों में शामिल थे और मुगल और ब्रिटिश काल के दौरान उच्च पदों पर रहे।

ऐतिहासिक रिकॉर्ड की कमी
दस्तावेज़ों की अनुपस्थिति

दस्तावेज़ों की अनुपस्थिति ऐतिहासिक रिकॉर्ड की कमी

इस प्रकार, फखरपुर का इतिहास एक समृद्ध लेकिन कुछ हद तक अस्पष्ट कथा है, जो लोककथाओं, परंपराओं और कुछ ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यों से बुनी गई है। यह क्षेत्र प्रशासनिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, जैसा कि इसकी पुरानी संरचनाओं और निवासियों की स्मृतियों से स्पष्ट है।

फखरपुर का इतिहास: मुगलों और अंग्रेजों से युद्ध

फखरपुर का इतिहास मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ लड़े गए युद्धों से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो इस क्षेत्र की अशांत और गौरवशाली विरासत को दर्शाता है। फखरपुर के कई स्थलों पर खुदाई के दौरान सैनिकों और अन्य मानव अवशेष मिले हैं, जो यहां हुए महत्वपूर्ण युद्धों का प्रमाण देते हैं। गांव के कई खेतों में मानव कंकालों और हड्डियों की खोज से इस क्षेत्र में हिंसा और युद्ध की चरम स्थिति का संकेत मिलता है।

प्रमुख युद्ध और उनका ऐतिहासिक संदर्भ
सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच युद्ध

फखरपुर के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख युद्ध सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच हुआ माना जाता है। यह युद्ध उत्तर प्रदेश के बहराइच क्षेत्र में हुआ था और इसका प्रभाव फखरपुर तक महसूस किया गया।

सैयद सालार मसूद गाजी एक प्रमुख मुस्लिम योद्धा थे और महमूद गजनवी के भतीजे थे। वे 1031 ईस्वी में इस्लाम का प्रचार और विस्तार करने के उद्देश्य से उत्तर भारत आए थे। उन्होंने बहराइच और आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया।

महाराजा सुहेलदेव, जिन्हें राजा गहमकतेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, श्रावस्ती के राजा थे। 1034 ईस्वी में उनके और सैयद सालार मसूद गाजी के बीच बहराइच के निकट एक निर्णायक युद्ध हुआ, जिसमें महाराजा सुहेलदेव विजयी हुए।

फखरपुर में मुगलों और अंग्रेजों के साथ संघर्ष

मुगल साम्राज्य के दौरान, फखरपुर ने कई संघर्षों का सामना किया। यद्यपि प्रारंभिक काल के कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं, स्थानीय लोककथाएं और प्राचीन अवशेष यह संकेत देते हैं कि यह क्षेत्र मुगल युग में स्थापित हुआ था। इसके अतिरिक्त, ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान भी इस क्षेत्र में कुछ संघर्ष हुए, जिनमें से कुछ स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हो सकते हैं।

मुगलों के साथ फखरपुर का इतिहास अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र उनके साम्राज्य के अधीन था और स्थानीय शासक समय-समय पर मुगल नियंत्रण के खिलाफ विद्रोह करते थे।

युद्धों के अवशेष और प्रमाण

आज भी, फखरपुर के विभिन्न स्थानों पर खुदाई के दौरान हड्डियां और अन्य युद्ध अवशेष मिलते हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण युद्धभूमि रहा है। ये अवशेष न केवल फखरपुर के अशांत इतिहास की कहानी बयां करते हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी उजागर करते हैं।

फखरपुर का इतिहास संघर्षों और युद्धों से चिह्नित है, जिसमें मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध प्रमुख हैं। सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच का युद्ध इस क्षेत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस प्रकार, फखरपुर की भूमि पर हुए संघर्षों ने इसे गर्व और ऐतिहासिक महत्व का स्थान बना दिया है।

fakharpur फखरपुर

उपनाम पखरपुर
कस्बा फखरपुर

फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराीच जिले का एक महत्वपूर्ण कस्बा और विकास खंड है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 109 किलोमीटर दूर स्थित है। फखरपुर में इसके विकास खंड के अंतर्गत कुल 86 गांव आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, फखरपुर और इसके आस-पास के गांवों की कुल जनसंख्या 203,067 है।

फखरपुर का इतिहास प्राचीन है, जिसका महत्व मुग़ल और ब्रिटिश काल तक जाता है। इसके प्राचीन मंदिरों, किलों और ऐतिहासिक स्थलों के कारण यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

फखरपुर का नाम “फख्र” और “पुर” का संगम है, जो गर्व और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जो इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है। यहां की संवेदनशीलता और आर्थिक विकास इसके राज्य में प्रमुखता को बढ़ाते हैं। यहाँ के लोग और संस्कृति भारतीय परंपरा की प्रतीक हैं।

फखरपुर एक विविध और जीवंत समुदाय को बढ़ावा देता है, जहां विभिन्न धर्मों, जातियों और समाजों के लोग साथ-साथ रहते हैं। इसकी समृद्ध और विविध धरोहर इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है।

सरकारी पहलों ने फखरपुर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्थानीय अधिकारियों ने क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके अतिरिक्त, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

फखरपुर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का खजाना है। इसके विभिन्न धार्मिक स्थल, मंदिर और मस्जिद इसे एक धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाते हैं। इसके अलावा, फखरपुर में विभिन्न सामाजिक संगठनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने इसकी समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दिया है।

अंत में, फखरपुर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कस्बा है। इसका समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर, विविध समुदाय और सरकारी पहलों ने इसे आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना दिया है।

भौगोलिकता

  • फखरपुर भौगोलिकता

2011 की जनगणना के अनुसार, फखरपुर गांव का स्थान कोड या गांव कोड 172186 है। फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कैसरगंज तहसील में स्थित है। यह उप-जिले मुख्यालय कैसरगंज से 28 किलोमीटर और जिला मुख्यालय बहराइच से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। 2009 के आंकड़ों के अनुसार, फखरपुर एक ग्राम पंचायत भी है।

जनसांख्यिकी

  • फखरपुर जनसांख्यिकी

फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कैसरगंज तहसील में स्थित एक बड़ा गांव है, जहां कुल 441 परिवार रहते हैं। फखरपुर गांव की जनसंख्या 2468 है, जिनमें से 1319 पुरुष हैं जबकि 1149 महिलाएं हैं (2011 की जनगणना के अनुसार)।

फखरपुर गांव में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की जनसंख्या 379 है, जो गांव की कुल जनसंख्या का 15.36% है। फखरपुर गांव का औसत लिंग अनुपात 871 है, जो उत्तर प्रदेश राज्य के औसत 912 से कम है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, फखरपुर में बच्चों का लिंग अनुपात 763 है, जो उत्तर प्रदेश के औसत 902 से कम है।

फखरपुर गांव में साक्षरता दर उत्तर प्रदेश की तुलना में कम है। 2011 में, फखरपुर गांव की साक्षरता दर 55.34% थी, जबकि उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर 67.68% थी। फखरपुर में पुरुषों की साक्षरता दर 60.05% है, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 50.05% थी।

भारत के संविधान और पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, फखरपुर गांव का प्रशासन एक सरपंच (गांव प्रमुख) द्वारा किया जाता है, जो गांव का निर्वाचित प्रतिनिधि होता है।

इतिहास

  • फखरपुर इतिहास

फखरपुर कस्बा 2012 तक उत्तर प्रदेश की विधानसभा क्षेत्र था। जिसे 2012 में समाप्त कर दिया गया। अरुण वीर सिंह (सपा) और कृष्ण कुमार ओझा (बसपा) फखरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं।

खाना और पेय

  • फखरपुर खाना और पेय

फखरपुर में बहुत अच्छा खाना और पेय उपलब्ध हैं। जैसे - चिकन बिरयानी, कुलचा-केबाब, पूरी सब्जी, दहीवड़ा, चाट, पानी पूरी, आदि... रवि की चाट, ललन के समोसे, अली अहमद का हलवा पराठा, राजन की चाय, पुत्तन की चाय, लड्डन होटल का चना, सुंदर काका का खजूरीया, हामिद खान साहब की एक रुपए वाली चाय फखरपुर के प्रसिद्ध खाने-पीने की दुकानें हैं, जिनका फखरपुर में बड़ा महत्व है। इसके अलावा, यहां बहुत सारी और चीजें प्रसिद्ध हैं। खासकर, चिकन रोस्टेड (फ्राइड चिकन) जो।

प्रसिद्ध पान की दुकान

  • फखरपुर प्रसिद्ध पान की दुकान

आशोक पान वाले, जुबेर पान वाले, अमीर हमजा पान वाले, अकिल पान वाले, सत्येश पान वाले, आप फखरपुर शहर में कई और पान की दुकानें पाएंगे, जहां पान खाने के बाद आपको आनंद मिलेगा। किराने की दुकान की बात करें तो, कलीम किराना स्टोर जाएं। प्रमुख दुकानें जैसे रिजवान किराना स्टोर आदि बाजार की सुंदरता बढ़ाती हैं।

फखरपुर में मस्जिदें

# मस्जिद का नाम पता दूरी
01 थाने वाली मस्जिद फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.3 किमी
02 गौसिया मस्जिद खालिदपुर 0.5 किमी
03 मस्जिद उमर घासीपुर 0.8 किमी
04 जुमा मस्जिद मधवपुर 0.6 किमी
05 खारीहान वाली मस्जिद बाजार 0.9 किमी

फखरपुर में मंदिर

फखरपुर में मंदिर के बारे में

फखरपुर, जो बहराइच जिले में स्थित एक शहर है, अपने कई हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से ठाकुर दुआरा मंदिर सबसे प्रमुख है। इस मंदिर का इतिहास मुग़ल काल से जुड़ा हुआ है और यह सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। हर साल, होली, राम नवमी और अन्य हिंदू त्योहार इस मंदिर में धूमधाम से मनाए जाते हैं।

ठाकुर दुआरा मंदिर इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक उत्साह का प्रतीक है। इसकी वास्तुकला और पवित्रता दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करती है, जो आशीर्वाद और शांति की तलाश में यहाँ आते हैं। यह मंदिर आध्यात्मिक और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र बनता है, जो इसके दर्शनार्थियों में एकता और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है।

ठाकुर दुआरा मंदिर में वार्षिक उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते; ये विश्वास और परंपरा के जीवंत Ausdruck हैं। लोग अनुष्ठानों में भाग लेने, प्रार्थना करने और त्योहार के माहौल में रंगीन अनुभव प्राप्त करने के लिए इकट्ठा होते हैं। हवा में मंत्रों, भजनों और अगरबत्ती की खुशबू से वातावरण में दिव्यता और खुशी का अहसास होता है।

धार्मिक महत्व से परे, मंदिर फखरपुर के सामाजिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सभी पृष्ठभूमियों के लोगों के लिए एक बैठक स्थान के रूप में कार्य करता है, जो दोस्ती और सामंजस्य के बंधन को बढ़ावा देता है। इसके त्योहारों और अनुष्ठानों के माध्यम से, मंदिर समुदाय की सांस्कृतिक पहचान और स्वाभाविकता को मजबूत करता है।

ठाकुर दुआरा मंदिर का इतिहास और अनुष्ठान फखरपुर के लोगों के समर्पण और साहस की स्थायी भावना को दर्शाते हैं। यह उनके अडिग विश्वास और परंपराओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो उनके जीवन के ताने-बाने को आध्यात्मिकता और अर्थ से भर देता है।

सारांश में, ठाकुर दुआरा मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं है; यह एक जीवित प्रमाण है उस धरोहर और मूल्यों का जो सदियों से फखरपुर की पहचान को आकार देते रहे हैं। यह सभी को जो शांति और ज्ञान की तलाश में यहां आते हैं, प्रेरित और प्रोत्साहित करता है, भक्ति और समर्पण की शाश्वत सुंदरता का प्रतीक है।

# मंदिर का नाम पता दूरी
01 रामलीला मंदिर फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.4 किमी
02 ठाकुर दुआरा मंदिर बाजार 0.5 किमी
03 हनुमान जी मंदिर फखरपुर, उत्तर प्रदेश 1.0 किमी
04 आर्य समाज मंदिर फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.4 किमी

फखरपुर में दरगाह

फखरपुर में दरगाह के बारे में जानकारी

फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित एक भव्य और प्राचीन शहर है। यह कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का घर है, जिसमें चार प्रमुख दरगाहें शामिल हैं: यासीन शाह, सतैयान पीर, दादा मियाँ, और बाबा ताहा। ये चार दरगाहें न केवल धार्मिक त्योहारों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि शहर के मेलों के केंद्र के रूप में भी कार्य करती हैं।

हर साल, उर्स समारोह के दौरान हजारों लोग इन चार दरगाहों की ओर खींचे जाते हैं। उर्स, एक धार्मिक त्योहार है, जिसे क़व्वाली, नात और सूफी संगीत के साथ मनाया जाता है। ये धार्मिक आयोजन बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं, जो व्यक्तियों को अपने माहौल में लपेट लेते हैं।

इन दरगाहों का इतिहास भी बहुत दिलचस्प है। इनमें से कई 17वीं और 18वीं शताब्दी में बनवाए गए थे, और इनसे जुड़ी हुई कई कथाएं और लोककथाएं हैं। ये स्थल केवल आध्यात्मिकता के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि स्थानीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी अभिन्न हिस्सा हैं।

इन दरगाहों के आस-पास के मेले स्थानीय और बाहरी वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। लोग यहां केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए नहीं आते, बल्कि विभिन्न कपड़े, गहने और स्नान सामग्री खरीदने के लिए भी आते हैं। इसके अतिरिक्त, वे स्थानीय भोजन और मिठाइयों का आनंद भी लेते हैं।

बहराइच सरकार के मेले और फखरपुर में स्थित इन चार दरगाहों के मेले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय हैं। इन मेलों का आयोजन स्थानीय प्रशासन द्वारा किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह शांतिपूर्ण और सुरक्षित रहें।

समुदाय के लिए, ये मेले उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का अवसर प्रदान करते हैं। इन आयोजनों के दौरान, वे अपने परिवारों और दोस्तों के साथ अकेलापन का आनंद लेते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

उर्स, एक धार्मिक त्योहार होने के नाते, क़व्वाली, नात और सूफी संगीत के साथ मनाया जाता है। यह केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक नहीं है, बल्कि समाज में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो लोगों को सांस्कृतिक और धार्मिक आदर्शों को साझा करने के लिए एक साथ लाता है।

इन चार दरगाहों का इतिहास, कहानियों और समुदायों से गहरे जुड़े हुए हैं। इनके आस-पास कई प्राचीन कथाएँ और ऐतिहासिक कथाएं हैं, जो लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। ये स्थान स्थानीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के आवश्यक हिस्से हैं, जो आज भी लोगों की आध्यात्मिकता को व्यक्त करते हैं।

इन दरगाहों के आस-पास के मेले स्थानीय और बाहरी वाणिज्यिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोग यहां केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए नहीं आते, बल्कि विभिन्न कपड़े, गहने और स्नान सामग्री खरीदने के लिए भी आते हैं। इसके अतिरिक्त, वे स्थानीय भोजन और मिठाइयों का आनंद भी लेते हैं।

समुदाय के लिए, ये मेले उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का अवसर प्रदान करते हैं। इन आयोजनों के दौरान, वे अपने परिवारों और दोस्तों के साथ अकेलापन का आनंद लेते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

इस प्रकार, फखरपुर की चार दरगाहों के मेले केवल आध्यात्मिकता और संस्कृति के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि समाज में एकता और सामंजस्य के भी प्रतीक हैं।

# दरगाह का नाम पता दूरी
01 दादा मियाँ (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.5 किमी
02 बाबा ताहा शाह (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.4 किमी
03 सतैयान पीर (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 1.0 किमी
04 यासीन शाह (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 1.1 किमी

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