खैरा बाजार प्रकरण में आया नया खुलासा मानव अधिकार ने जारी की चौकाने वाली रिपोर्ट 286 मुसलमानों पर दायर फर्जी देशद्रोह अतंगवाद का मामला ~ Fakharpur News

मानवाधिकार संगठन NCHRO द्वारा गठित तथ्यान्वेषी दल की जांच रिपोर्ट बहराइच के खैराबाजार में यूपी
पुलिस को ज्यादतियां - मुसलमान समुदाय के 280 लोगों पर लगाया विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम ( UAPA ) । घटना दिनांक : 20-10-18 को दूर्गा मूर्ति विसर्जन की शोभा यात्रा के दौरान खैराबाजार बहराइच में साम्प्रदायिक झड़प और उसके बाद पुलिस द्वारा मुस्लिम समुदाय का बर्बर दमन तध्यान्वेषण की तिधिः 28-10-18 जांच दल के

सदस्य


1. एडवोकेट अमित श्रीवास्तव  NCHRO के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
2. एडवोकेट अन्सार इन्दौरी , NCHRO दिल्ली के महासचिव
3 . राजीव यादव , महासचिव , रिहाई मंच , यू . पी .
4 . बलजीत कौर , मानव अधिकार कार्यकर्ता , दिल्ली
5 . राजवीर कौर , भगत सिंह छात्र एकता मंच , दिल्ली 6 . कृपा शंकर , संपादक , विरुद्ध ( फासीवाद विरोधी मोर्चा , यू . पी
7 . रॉबिन वर्मा रिहाई मंच यू .पी

जांच दल ने हिन्दू व मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों से मुलाकात कर सच्चाई का पता लगाने का प्रयास किया । नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक , बहराइच से भी जांच दल ने मुलाकात की और उन्हें घटना व उसके बाद की स्थितियों से अवगत कराते हुए मानव अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु जरूरी कदम उठाने की अपील की । अंत में जांच दल ने बहराइच में प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित किया । घटना की पृष्ठभूमि व व्योरा खैराबाजार के लोगों ने बताया कि 4 वर्ष पहले बरावफात के समय यहां साम्प्रदायिक तनाव हुआ धा । उसके पहले कभी यहां साम्प्रदायिक माहौल खराब नहीं हुआ । पिछले 4 वर्षों से ही यहां दशहरा में जुलूस निकलना शुरू हुआ है । तभी से यह जगह अतिसंवेदनशील मानी जाती है ।


गाँव के एक सदस्य , अनिल गौर ने बताया कि पिछले साल प्रशासन का बंदोबस्त अच्छा था । शोभा यात्रा की वीडियो रिकार्डिंग की गयी थी और पर्याप्त संख्या में पुलिस बल लगाया गया था । छतों पर पुलिस वाले थे जिसके कारण शांति से सब निपट गया था । लेकिन इस साल सिर्फ 2 होमगार्ड , 2 सिपाही य एक दारोगा ही लगे थे जबकि 2000 से ज्यादा लोगों ने इस यात्रा में हिस्सा लिया । दोनों पक्षों ने बताया कि झगड़े की शुरूआत मस्जिद में रंग फेंकने से हुई । उसी के बाद दोनों पक्षों में झड़प हुई थी । उसके बाद बेरिया गांव के आशीष शुक्ला ने बौण्डी थाने में एक तहरीर दी जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गयी और गिरफ्तारियां



करने के लिए मुस्लिम समुदाय पर पुलिस का बर्बर हमला शुरू हो गया । तहरीर में 80 मुसलमानों के नाम हैं और 100 - 200 को अज्ञात बताया गया है । एफआईआर में आईपीसी की 147 , 148 , 295ए , 296 , 323 , 506 धाराएं और यूएपीए की धारा 7 लगायी गयी है । रिपोर्ट के साथ एफआईआर की कॉपी संलग्न है । 28 अक्टूबर तक 22 मुस्लिम अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी थी । जांच पड़ताल बवाल की शुरुआत के बारे में जांच टीम को गांव वालों ने बताया कि मूर्ति विसर्जन के लिए शोभा यात्रा बैरिया और दुसरे गाँवों से होते हुए खैरा बाजार के चौराहे से निकल कर बेदनापुर में सरजू नदी तक जाती है । यात्रा में करीब 2000 लोग और 15 ट्राली शामिल थीं


जब मूर्ति विसर्जन की यात्रा खैरा बाजार की मस्जिद के पास से गुज़री तो यात्रा के लोगों ने गुलाल और संग मस्जिद के ऊपर डाल दिया । इसका मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध किया जिससे झगड़ा होने लगा लेकिन किसी तरह मामला रफा दफा किया गया । परन्तु कुछ ही दूरी पर फिर से दोनों पक्षों के लोगों में पथराव होने लगा । मामला तब बहुत बिगड़ गया जब स्टेशन हाउस अफसर ( 50 ) के भी एक पत्थर लग गया । पुलिस ने मुस्लिम समाज के लोगों पर ज़बरदस्त कार्यवाही शुरू कर दी और हिन्दू दंगाई तत्वों ने ललकारा की " मारो साल को ' फिर मुस्लिमों पर हमला बोल दिया गया ।


और पुलिस की मुस्लिम घरों में छापामारी , तोड़फोड़ , मारपीट - गालीगलौज , गिरफ्तारी 20 अक्टूबर की रात 11 बजे से शुरू हुई । जो 21 की रात से 27 की देर शाम तक जारी थी । जांच टीम ने देखा कि खैराबाज़ार रोड़ पर चंद हिन्दू समुदाय की दुकानों के अलावा सब बन्द था । और वहां पुलिस तैनात थी । जांच दल के लोग उस मस्जिद पर गए जहाँ विवाद हुआ था । जांच दल ने पाया कि मस्जिद की रोड की तरफ का एक छोटा । गुम्बद टूटा हुआ है और मस्जिद के गेट के भीतर फर्श पर रंग गिरा हुआ है । मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि घटना के दिन यात्रा में करीब 2000 लोगों की भीड़ थी । कई लोग तलवार और हथियारों से लैस थे


ये लोग मस्जिद के ऊपर और उसके अंदर गुलाल और ग डालने लगे थे , इसी का कुछ मुसलमानों ने विरोध किया तो झड़प हो गयी । दोनों तरफ से थोड़ी - बहुत मारपीट भी हुई । पुलिसकर्मी मस्जिद से दूर खड़े थे जिन्हें पहले से मस्जिद के पास होना चाहिए था । उसके बाद पुलिस बल के समर्थन और साथ को पाकर शोभा यात्रा में शामिल हिंदुत्व फासिस्ट तत्वों ने बाजार के मुस्लिमों की सभी दुकानों को तोड़ दिया । यह बात गौर करने वाली है कि वहां के मुस्लिम गरीब व मजदूरी करने वाले हैं । दुकाने भी साइकिल बनाने , केरोसिन तेल बेचने , या आटा चक्की की ही थी । जब जांच दल रोड से भीतर गांव में घुसा तो पाया कि ज्यादातर घर खाली पड़े हैं । गांव को देखकर स्पष्ट समझ में आ रहा था


कि यह गांव एकदम निम्नवर्ग के लोगों का है । गांव में सिर्फ कुछ वृद्ध पुरुष महिलाएं और बच्चे थे । घटना के 8 दिन बाद भी । गांव के युवा और अधेड़ भागे हुए हैं । वहां औरत और बच्चों ने बताया कि 20 अक्टूबर की रात 11 बजे के आसपास भारी संख्या में पुलिस आयी जिसमें कोई महिला सिपाही नहीं थीं । उस पुलिस बल ने सभी मुस्लिम घरों पर हमला बोल दिया । दरवाजे तोड़ डाले या जबरदस्ती घरों में घुसे । घर में घुसकर महिलाओं लड़कियों को धमकाया । एक बूढ़े व्यक्ति नूर अली ने बताया कि पुलिस वालों ने उनकी पत्नी का पैर और हाथ तोड़ दिया । उनके लड़के शमशाद को भी उठा ले गए । एक महिला कोसर जहाँ ने बताया कि एक रात में पुलिस वाले आकर उसके दरवाजे पर तेज ठोकर मारने लगे और उनके भाई रियाज वल्द रमजान को उठा ले गए हैं । तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले अनीस ने बताया कि उसके पिता राजमिस्त्री हैं उनको पुलिस ले गयी है


हमारे घर से अभी तक जेल में कोई मिलने नहीं गया । घर में 5 बच्चे और उसकी अम्मा हैं । एक और गाँव के सदस्य ने बताया कि रात में 15 - 20 सिपाही आये और दरवाजा तोड़कर घर में घुस गए । करीब 11 बजे रात में जवान लड़कियां व बहुएं डरी सहमी रहीं उन्हें गाली दी , उनके साथ कोई महिला पुलिस भी नहीं थी । उन्होंने आगे बताया कि पुलिस वाले छत पर सो रहे बेटों को निर्ममता से पीटते हुए ले गए और रातभर मारपीट के बाद सुबह मुझे बुलाया और धमकी देकर छोड़ दिये


अभी भी रोज अंधेरा होने पर दरवाजे को तेज धवका देते हैं , गाली और धमकी देते हैं । जांच टीम को जैतुन , नसीम सहित कई औरतों और लड़कियों ने बताया कि उभी भी पुलिसवाले अंधेरा होने पर आते हैं और डरा धमका कर पूछते हैं की घर के पुरुष कहाँ हैं


तुम लोग बता दो नहीं तो महिला पुलिस बुलाकर तुम लोगों को खूब पिटवाएँगे तब दिमाग ठिाने आएगा । डर के मारे औरतें और लड़कियां तथा बच्चे रिश्ते - नातों में भाग गए हैं । जांच दल के सदस्य मरियम नाम की एक बुजुर्ग महिला से मिले जिसने बताया की उनके पाँचों बेटे अपनी बीवी बच्चों के साथ गाँव छोड़ के भाग गए हैं । उन्हें इर था कि कहीं उनकी बहुओं के साथ भी दुर्व्यवहार न हो । उन्हें नहीं मालूम की उनके बेटों के नाम एफआईआर में हैं कि नहीं । पुलिस हर बार उनके घर में आ कर तोड़फोड़ कर रही है , उनके घर को जलाने की भी कोशिश की गयी । जांच दल को गांव वालों ने पूर्व प्रधान रशीद का घर दिखाया । पुलिस ने सबसे ज्यादा उन्हीं के धर को नुकसान पहुँचाया है । उनके घर के सभी दरवाजों को गैस के चूल्हे को बड़े - बड़े बक्स , खिड़कियों और उनमें लगे शों , घर के अंदर के हैंडपंप को तोड़ डाला और बरामदे में खड़े टेटर को भी क्षतिग्रस्त किया है । पूर्व प्रधान के 3 बेटों सद्दाम ,



शहजाद व खुर्शीद और स्वयं उन्हें अभियुक्त बनाया है । उनके घर के सभी महिला - पुरुष व ब कहीं भागे हुए हैं । प्रधान के तीनों बेटे गिरफ्तार हैं । गांव वालों ने बताया कि खैरा बाजार के अलावा चंगिया , तारापुर और सैनपुरा के मुसलमानों को भी गिरफ्तार किया गया है । ट । एक अत्यंत वृद्ध , बीमार , सिर्फ कंकाल के ढाँचे समान व्यक्ति से मिलीं , और उनकी पत्नी जो विकलांग थी पुलिस की ज्याद बताते - बताते रोने लगीं कि उनके एकमात्र कमाने वाले लड़के को पुलिस उठा ले गयी है । गांव के बच्चे और लड़कियों ने बताया कि पुलिसवाले उनसे उनके घर के पुर्षों का नाम पूछते हैं और उसे भी अभियुक्त बना । देते हैं । पूरा गांव डरा सहगा है ।



लोगों ने बताया कि कगाने वाले पुरुषों की गिरफ्तारी या डर के मारे भागे रहने के कारण घरों में खाने तक का संकट आ गया है । बहुत से लोगों के पशु कहीं चले गए है या मर रहे हैं । जांच दल को गांव के बच्चों , औरतों व वृद्ध लोगों ने साफ साफ बताया कि रोड की उनकी दुकानों को यात्रा में शामिल कट्टरपंथी हिन्दुओं ने पुलिस की शह पर तोड़ा जबकि गांव के अंदर घरों में तोड़फोड़ पुलिस वालों ने की । पुलिस स्वयं दंगाई बन गयी थी । मुस्लिम लोगों की मानवीय व दर्दनाक स्थिति जानने के बाद जांच टीम खैराबाज़ार के प्रधान के घर गयी । प्रधान तो उगेश वर्मा की बहू सरिता वर्मा हैं । जबकि सभी लोग उमेश वर्मा को ही प्रधान कहते और समझते हैं । प्रधान - ससूर उमेश वर्मा ने बताया कि इस गांव में कुल 1200 परिवारों में से 800 से ज्यादा परिवार मुस्लिम समुदाय के है । जबकि हिन्दू 400 से कम हैं । उनके अनुसार प्रशासन की लापरवाही के कारण यह तनाव हुआ है ।



जब उमेश से यह पूछा गया कि 65 % मुस्लिम हैं तो आप से जीत गए तो उन्होंने कहा कि सभी हिन्दुओं का वोट मिला जबकि मुस्लिम समुदाय के कई प्रत्याशी थे जिससे उनका वोट बंट गया । वहां बहुत से हिन्दू समुदाय के लोग आ गए । जब अनिल गौर यह बता रहे थे कि प्रशासन की कमी से यह फसाद हुआ है तो । उसी समय सच्चिदानंद नामक एक व्यक्ति ने इसके उल्टे तेज़ आवाज़ में बताया कि मुस्लिगों ने हमले की तैयारी की हुई थी । उसने बताया कि उसकी उम्र 35 वर्ष है । तभी वहां खड़ी भीड़ में से एक नौजवान ने बल दिया कि ये पहले हिन्दू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष थे । उसने बताया कि 2000 के आसपास लोग यात्रा में थे ।



मुस्लिमों ने मुझे जान से गारने का प्रयास किया । जय जांच दल ने पूछा कि कितने लोग आपको मार रहे थे तो उसने कहा की 5 लोग । नाम पूछने पर सिर्फ दो लोगों का नाम बता पाये और थोड़ी देर सोचकर वहां खड़े हिन्दू समुदाय के कुछ लोगों के बताने पर 3 नाम और बताये । जब हमने उससे पूछा कि आपने FIR की है तो तुरंत कहा हाँ । फिर कहा अभी मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हैं । हमने कहा कि आपने तुरंत FIR क्यों नहीं कराई तो बोला कि मैंने जो एक FIR पहले हुई है उसी में उन पांचों का नाम लिखा दिया । सच्चिदानंद ने बताया कि 4 वर्ष पहले बराफ़ात के समय उसके यहाँ मंदिर के पास बलवा हुआ था । तब भी उसने FIR किया था परंतु सपा की सरकार के कारण मुस्लिमों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी । सच्चिदानंद की बातों से प्रतीत होता है कि इस बार भी दंगा भड़काने में उसकी कुछ न कुछ भूमिका हो सकती है




इराके बाद जांच टीम दो दिन पहले आये पुलिरा अधीक्षक डों गौरव ग्रोवर से बहराइच पुलिस लाइन में जाकर मिली । पुलिस अधीक्षक से जांच टीम ने खैराबाज़ार में मुस्लिमों पर पुलिस ज्यादती , बिना किसी आधार के UAPA की धारा लगाना , एकबार में 280 मुस्लिम लोगों को आरोपित करने , मुस्लिम समुदाय में दहशत का माहौल , और वहां उनकी गरीब पृष्ठभूमि के कारण मानवीय संकट पैदा होने की स्थिति को बताया । शुरू में अधीक्षक ने तर्क किया कि UAPA क्यों न लगे ? परन्तु जल्द ही टी । के इस तर्क रौ कि तहरीर और वहां घरी घटना से किसी भी रूप में UAPA नहीं बनता रौं निरुत्तर होकर कहा कि CLA एट की थारा 7 लगी होगी । वहाँ उपस्थित अन्य पुलिस अधिकारियों और इसकी जांच कर रहे C0 ने भी कहा कि आप लोगों को गलतफहमी हुई है । परंतु जब हमने FIR की कॉपी दिखाई तो एसपी बोले आम लोग जितने भी बिंद हैं डिटेल लिखकर दे दें , मैं जांच करवाकर उचित कार्रवाई करूंगा



जांच टीम के गांव में जाकर अमन चैन कायम करने की पहल लेने की सलाह पर एसपी ने स्वयं वहाँ जाकर इसके लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया । जांच टीम ने तुरंत UAPA हटाने और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग अधीक्षक के सामने रखी । अंत में जांच टीम ने बहराइच में प्रेसवार्ता करके सभी स्थितियों से प्रेस को अवगत कराया और प्रेस से अपील किया कि आप लोग भी ठोस स्थिति को जनता और प्रशासन के संज्ञान में लाकर पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाएं ताकि मुस्लिम समुदाय का दमन - उत्पीड़न बंद हों और उनपर लगाई गई JAPA की धारा सहित पूरे केरा को वापस लिया जाये ताकि मुस्लिम समुदाय का विशारा अर्जित करते हुए अमन चैन कायम करने की पृष्ठभुमि तैयार हो सके


पत्रकारों के पूछने पर जांच टीम ने कहा कि हम इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग , सहित अन्य मानव अधिकार संगठनों को भेजेंगे । यह एक बार में 280 लोगों पर UAPA की धारा लगाने की देश की पहली घटना है । UJAPA नहीं हटाये जाने पर हाई कोर्ट और सुर्णीम कोर्ट तक मामले को ले जाया जायेगा । जांच टीम के निष्कर्ष 1 - यह घटना पिछले 4 वर्षों रो केंद्र में फासीवादी पार्टी के सत्तानशीन होने से प्रशारान और समाज में मनुवादी विधान में विश्वास रखने वाले तत्वों के उन्मादपुर्ण उत्साह का ही नतीजा है । 2 - दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की यात्रा 4 वर्षों से निकाली जा रही है ।



और 4 वर्ष पहले भी बरावफात के मौके पर तनाव हो चुका धा । अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद सिर्फ 3 पुलिस और दो होमगार्ड को लगाया गया धा वे भी यात्रा के वक्त संकरे रोड के किनारे बने मस्जिद के पास खड़े नहीं थे । यह स्थिति इस तनाव को पैदा करने की साजिश की तरफ संकेत करती है । हिन्दु और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोगों ने कहा कि यह सवाल पुलिस प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है । 3 - घटना की शुरुआत मस्जिद में रंग व गुलाल फेंकने से हुई थी । जिसे पुलिस ने हिंदूवादी कट्टरपंथी तत्वों को सपोर्ट देकर मुस्लिमों की दुकानें व मस्जिद के गुम्बद तोड़ने तक बढ़ाया । और इसके बाद बैरिया गांव के आशीष शुक्ला , सच्चिदानंद , जगदीश जायसवाल व अन्य लोगों के साध मिलकर 80 नामजद व 200 अज्ञात मुसलमानों पर FIR दर्ज करवाई । शिकायतकर्ता के घटना का समय न लिखने के बावजूद पुलिस ने समय 00 : 00 दर्ज किया है और कहीं भी घटना की अवधि का जिक्र नहीं है ।


शिकायतकर्ता के तहरीर में जिन बातों का उल्लेख है उससे LJAPA तो कत्तई नहीं बनता फिर भी पुलिस ने लगाया है । और इसे सही साबित करने के लिए 2 दिन बाद " पाकिरतान के समर्थन में नारा लगाने का वीडियो वायरल कराया गया । शिकायतकर्ता का विरोधी पक्ष के कई गाँवों के 80 मुस्लिमों का नाम लिखाना संदेहजनक है जबकि वह 50 - 60 घायल हिन्दू समुदाय के लोगों का नाम नहीं बता पाता है और जांच टीम को हिन्दू युवा वाहिनी का पदाधिकारी रह चुका सच्चिदानंद 5 हमलावरों के नाम नहीं बता पाता हैं । और छोटी जगह पर 280 लोगों के घात लगाने की बात भी संदेह जनक है । उस रात से पुलिस का मुस्लिम समुदाय पर क्रुर हमला कर देना किसी सोची समझी साजिश की तरफ इशारा करता है



4 - खैराबाजार और चगिया , तारापुर व सैनपारा गांव में पूरी तरह मुस्लिम समुदाय दहशत के साये में है । जिनका FIR में नाम नहीं है वे भी भागे हुए हैं कि कहीं अज्ञात में उनका नाम न जुड़ जाये । 5 - गाँव के जवान , कमाने वाले लोगों के भागने के कारण पीछे से बुजुर्ग औरतें और बच्चे एक तरफ तो सहमे हुए हैं , अपने परिवार के लोगों के लिए चिंतित हैं और दूसरी और रोजाना की जिंदगी में तंग और असह्य हैं । 6 - गांव निर्धनतम लोगों का है जो मजदूरी , राजमिस्त्री , साइकिल का पेंचर बनाने , किरोसिन बेचने , ठेला - खोमचा लगाने का काम करते हैं । ऐसे में कमाने वाले पुरुषों के भागने से उनके रोज़ की थोड़ी सी आमदनी भी ख़तम हो गयी है । 7 - गांव के अंदर मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों में तोड़फोड़ पुलिस ने की है । पूर्व प्रधान रशीद का घर तो पुलिस ने लगभग नष्ट कर दिया है ।


इससे कुछ राजनीतिक कलह की साजिश का भी आशारा होता है । 8 - बिना महिला पुलिस के और रात के अंधेरे में पुलिस का पर्यों में प्रवेश संविधान में दर्ज मौलिक अधिकारों , सर्वोच्च अदालत व मानव अधिकार आयोग के निर्देशों का खुल्लम - खुल्ला उल्लंघन है । 9 गांव में छापे के दौरान घर में बचे लोग से नाम पूछकर पुलिस अभियुक्त बना रही है जो कि FIR में 200 ' अज्ञात व्यक्तिर्यो के शामिल होने के कारण है । 10 - पुलिस महिलाओं वृद्धों व बच्चों को रोज न्य रोज मारने पीटने की धमकी दे रही है । जांच टीम की मांगेः

1 . गलत तरीके से लगाया गया आंतकवाद का कानून JAPA तुरंत हटाया जाए

2 - इस जांच में उठे कई प्रत्यक्ष सवालों को मद्देनज़र रखते हुए इस घटना की संदेहजनक FIR को रद्द किया जाये । उसके आधार पर मुस्लिग समुदाय की धर - पकड़ बन्द की जाये और गिरफ्तार किये गये लोगों को रिहा जाये । UAPA की धारा को लगाने वाले पुलिस अधिकारी पर कार्यवाही की जाये ।

3 - घटना की निष्पक्ष जांच की जाये और हिंसा की शुरुआत करने वाले , मस्जिद में रंग फेंकने पाने वाले , मस्जिद का गुम्वाद तोड़ने वाले , गांव वालों की दुकानों को तोड़ने वालें को भी जांच की कार्यवाही का हिस्सा बनाया जाये

4 - इस मामले की जांच निष्पा कराने हेतु किसी सेवानिवृत जज , मानव अधिकार आयोग , कुछ माTनव अधिकार कार्यकर्ताओं की जांच टीम गठित करके करायी जाये

5 - मस्जिद के टूटे गुम्बद को प्रशासन ठीक कराए और लोगों की दुकानों और घरों की क्षति हेतु मुआवज़ा दिया जाये

6 - क्षेत्र में अमन चैन कायम करने के लिए हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोगों , क्षेत्र के नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं , पत्रकारों , वकील और प्रशासन को मिलाकर साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए सक्रिय कमेटियों का गठन किया जाय

मानव अधिकार की रिपोर्ट





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Furkan S Khan

देश दुनिया में रह रहे भारतीय प्रवासियों से सम्बंधित समाचार, यहां मुख्य रूप से सऊदी अरब एवं गल्फ देशों में रह रहे भारतीय प्रवासियों से सम्बंधित हिन्दी भाषा में समाचार एवं शायरी प्रकाशित की जाती है, ताजा अपडेट के लिए बनें रहे हमारे साथ, (मूड क्यों है आप का खराब हमें फॉलो करें न जनाब)

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फखरपुर का अर्थ
फखरपुर, यह नाम अपने आप में गर्व और सम्मान का प्रतीक है। फखर शब्द का अर्थ गर्व है, जो इस क्षेत्र के लोगों के आत्मसम्मान और गरिमा को दर्शाता है। दूसरी ओर, पुर का मतलब स्थान या नगर होता है, जो इस भूमि के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को इंगित करता है। इस प्रकार, फखरपुर गर्व और सम्मान से भरे एक स्थान का प्रतीक है, जो इसके लोगों की विरासत और गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए है।
Name In English
Fakharpur
বাংলায় নাম
ফখরপুর
हिंदी में नाम
फखरपुर
اردو میں نام
فخرپور
आगामी त्योहार | 2025
Calendar Programed by Furkan S Khan
Festival Name: English New Year
Time left: Loading countdown...
वर्तमान समय
Saturday, June 21, 2025
1:13:15 AM
मौसम
Weather in Fakharpur
Temperature: 29.79°C
Scattered clouds
Humidity: 70%
Wind Speed: 3.83 m/s
स्थानीय नाम
फखरपुर
ब्लॉक का नाम
पखरपुर
देश
Indian Flag भारत
महाद्वीप
एशिया
राज्य
Seal of UP उत्तर प्रदेश
प्रमंडल
देवीपाटन
क्षेत्र
गोरखपुर
जिला
Bahraich Clock Tower बहराइच
तहसील
कैसरगंज
लोकसभा क्षेत्र
कैसरगंज संसदीय क्षेत्र
विधानसभा क्षेत्र
कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र
विधायक
आनंद कुमार यादव (सपा)
सांसद
करण भूषण सिंह (भाजपा)
डाकघर का नाम
फखरपुर
संस्थापक
फखर खान (कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं)
सरकार
लोकतांत्रिक
सभा
ग्राम पंचायत
ग्राम प्रधान
शकील खान और नमून खान
वर्तमान में, फखरपुर में 86 ग्राम पंचायतें शामिल हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख माधवपुर है, जो न्यायिक परिषद के रूप में कार्य करती है, जबकि घासिपुर इसका राजस्व परिषद है।
क्षेत्र का नाम
99.999984563 (247.105 एकड़)
आकार देशांतर / अक्षांश
2.09215 किमी (1.3 मील) / 2.57495 किमी (1.6 मील)
ऊँचाई
121 मी (396.982 फीट)
आधिकारिक
हिन्दी
बोलचाल की भाषा
हिंदी उर्दू अवधी अंग्रेजी
समय क्षेत्र
(UTC +5:30)
तिथि और समय प्रारूप
DD/MM/YYYY
(उदाहरण: 15 अगस्त 1947)
पिन कोड
271902
एसटीडी कोड
05251
चालक दिशा
बायाँ
मुद्रा का नाम
भारतीय रुपया (INR)
देश का कॉलिंग कोड
+91
इंटरनेट टीएलडी
.in
वेबसाइट पर सामग्री और प्रोग्रामिंग फुरकान एस. खान द्वारा की गई है, और कई तथ्य ऐतिहासिक स्रोतों से लिए गए हैं।
आधिकारिक वेबसाइट
प्रारंभिक इतिहास: मुगल और ब्रिटिश युग
मुगल और ब्रिटिश शासन

मुगल और ब्रिटिश शासन फखरपुर का इतिहास मुगल और ब्रिटिश युग से गहराई से जुड़ा हुआ है। इन अवधियों के दौरान, फखरपुर वह स्थान था जहां एक शाही दरबार आयोजित किया जाता था और एक स्थानीय राजशाही स्थापित की गई थी।

राजाओं का शासनकाल ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में राजशाही 1950 तक चली। फखरपुर के बुजुर्गों का कहना है कि उस समय के अंतिम राजा मुनवा साहिब थे। मुनवा साहिब के बाद, उनके पुत्र लाल साहिब को भी राजा कहा जाता था, और लाल साहिब के बाद उनके पुत्र कुन्नू भैया को अंतिम राजा के रूप में जाना जाता था। यद्यपि यह पुष्टि करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है कि वे वास्तव में राजा थे, क्षेत्र में एक प्राचीन हवेली का अस्तित्व इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण महत्व को दर्शाता है।

तहसील और विधानसभा का गठन और विघटन
तहसील के रूप में मान्यता

तहसील के रूप में मान्यता 1980 के दशक तक, फखरपुर एक तहसील के रूप में मान्यता प्राप्त था, जो एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई थी। इस तहसील में कई गाँव और कस्बे शामिल थे और यह क्षेत्र की शासन व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।

विधानसभा क्षेत्र फखरपुर एक समय में एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र था। इस क्षेत्र के निवासी विधायी चुनावों में भाग लेते थे और यह अपने राजनीतिक महत्व के लिए जाना जाता था। हालांकि, 2007 में अंतिम चुनाव हुआ और 2012 में, इस विधानसभा क्षेत्र को भंग कर दिया गया और कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, जिससे फखरपुर की राजनीतिक पहचान में बदलाव आया।

प्रमुख स्थल - ठाकुर द्वारा हवेली
हवेली का महत्व

हवेली का महत्व फखरपुर बाजार में स्थित ठाकुर द्वारा हवेली एक प्राचीन और भव्य संरचना है, जो यह सुझाव देती है कि यह कई शताब्दियों पुरानी है।

धन की कहानियाँ स्थानीय बुजुर्गों और 1970 व 80 के दशक के लोगों के अनुसार, हवेली कभी सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं से भरी हुई थी, जिन्हें सरकार ने कथित तौर पर ट्रकों में लादकर जब्त कर लिया था। यह भी माना जाता है कि हवेली के नीचे कई भूमिगत कक्ष थे, जो खजाने से भरे हुए थे।

लोककथाएँ और परंपराएँ
ठकुराइन की अंगूठी की कहानी

ठकुराइन की अंगूठी की कहानी एक प्रसिद्ध स्थानीय कहानी बताती है कि कैसे सरकार ने हवेली की मालकिन, जिन्हें ठकुराइन के नाम से जाना जाता था, के हाथ से एक हीरे की अंगूठी जबरन ले ली, जिसके बाद वह हवेली छोड़कर चली गईं। यह कहानी उस समय की हवेली के महत्व और समृद्धि का प्रतीक है।

फखरपुर की अन्य प्रमुख हस्तियाँ
बहादुर सेठ

बहादुर सेठ फखरपुर के इतिहास में एक और प्रमुख व्यक्ति बहादुर सेठ हैं, जो एक प्रमुख शख्सियत थे, जिनके वंशज अभी भी टेटहरा गांव में रहते हैं। उनके पिता और दादा भी फखरपुर के प्रमुख व्यक्तियों में शामिल थे और मुगल और ब्रिटिश काल के दौरान उच्च पदों पर रहे।

ऐतिहासिक रिकॉर्ड की कमी
दस्तावेज़ों की अनुपस्थिति

दस्तावेज़ों की अनुपस्थिति ऐतिहासिक रिकॉर्ड की कमी

इस प्रकार, फखरपुर का इतिहास एक समृद्ध लेकिन कुछ हद तक अस्पष्ट कथा है, जो लोककथाओं, परंपराओं और कुछ ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यों से बुनी गई है। यह क्षेत्र प्रशासनिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, जैसा कि इसकी पुरानी संरचनाओं और निवासियों की स्मृतियों से स्पष्ट है।

फखरपुर का इतिहास: मुगलों और अंग्रेजों से युद्ध

फखरपुर का इतिहास मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ लड़े गए युद्धों से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो इस क्षेत्र की अशांत और गौरवशाली विरासत को दर्शाता है। फखरपुर के कई स्थलों पर खुदाई के दौरान सैनिकों और अन्य मानव अवशेष मिले हैं, जो यहां हुए महत्वपूर्ण युद्धों का प्रमाण देते हैं। गांव के कई खेतों में मानव कंकालों और हड्डियों की खोज से इस क्षेत्र में हिंसा और युद्ध की चरम स्थिति का संकेत मिलता है।

प्रमुख युद्ध और उनका ऐतिहासिक संदर्भ
सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच युद्ध

फखरपुर के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और प्रमुख युद्ध सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच हुआ माना जाता है। यह युद्ध उत्तर प्रदेश के बहराइच क्षेत्र में हुआ था और इसका प्रभाव फखरपुर तक महसूस किया गया।

सैयद सालार मसूद गाजी एक प्रमुख मुस्लिम योद्धा थे और महमूद गजनवी के भतीजे थे। वे 1031 ईस्वी में इस्लाम का प्रचार और विस्तार करने के उद्देश्य से उत्तर भारत आए थे। उन्होंने बहराइच और आसपास के क्षेत्रों में मुस्लिम प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया।

महाराजा सुहेलदेव, जिन्हें राजा गहमकतेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, श्रावस्ती के राजा थे। 1034 ईस्वी में उनके और सैयद सालार मसूद गाजी के बीच बहराइच के निकट एक निर्णायक युद्ध हुआ, जिसमें महाराजा सुहेलदेव विजयी हुए।

फखरपुर में मुगलों और अंग्रेजों के साथ संघर्ष

मुगल साम्राज्य के दौरान, फखरपुर ने कई संघर्षों का सामना किया। यद्यपि प्रारंभिक काल के कोई आधिकारिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं, स्थानीय लोककथाएं और प्राचीन अवशेष यह संकेत देते हैं कि यह क्षेत्र मुगल युग में स्थापित हुआ था। इसके अतिरिक्त, ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान भी इस क्षेत्र में कुछ संघर्ष हुए, जिनमें से कुछ स्थानीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हो सकते हैं।

मुगलों के साथ फखरपुर का इतिहास अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र उनके साम्राज्य के अधीन था और स्थानीय शासक समय-समय पर मुगल नियंत्रण के खिलाफ विद्रोह करते थे।

युद्धों के अवशेष और प्रमाण

आज भी, फखरपुर के विभिन्न स्थानों पर खुदाई के दौरान हड्डियां और अन्य युद्ध अवशेष मिलते हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण युद्धभूमि रहा है। ये अवशेष न केवल फखरपुर के अशांत इतिहास की कहानी बयां करते हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को भी उजागर करते हैं।

फखरपुर का इतिहास संघर्षों और युद्धों से चिह्नित है, जिसमें मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध प्रमुख हैं। सैयद सालार मसूद गाजी और महाराजा सुहेलदेव के बीच का युद्ध इस क्षेत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस प्रकार, फखरपुर की भूमि पर हुए संघर्षों ने इसे गर्व और ऐतिहासिक महत्व का स्थान बना दिया है।

fakharpur फखरपुर

उपनाम पखरपुर
कस्बा फखरपुर

फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराीच जिले का एक महत्वपूर्ण कस्बा और विकास खंड है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 109 किलोमीटर दूर स्थित है। फखरपुर में इसके विकास खंड के अंतर्गत कुल 86 गांव आते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, फखरपुर और इसके आस-पास के गांवों की कुल जनसंख्या 203,067 है।

फखरपुर का इतिहास प्राचीन है, जिसका महत्व मुग़ल और ब्रिटिश काल तक जाता है। इसके प्राचीन मंदिरों, किलों और ऐतिहासिक स्थलों के कारण यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

फखरपुर का नाम “फख्र” और “पुर” का संगम है, जो गर्व और प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जो इस क्षेत्र के महत्व को दर्शाता है। यहां की संवेदनशीलता और आर्थिक विकास इसके राज्य में प्रमुखता को बढ़ाते हैं। यहाँ के लोग और संस्कृति भारतीय परंपरा की प्रतीक हैं।

फखरपुर एक विविध और जीवंत समुदाय को बढ़ावा देता है, जहां विभिन्न धर्मों, जातियों और समाजों के लोग साथ-साथ रहते हैं। इसकी समृद्ध और विविध धरोहर इसे एक अद्वितीय स्थान बनाती है।

सरकारी पहलों ने फखरपुर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्थानीय अधिकारियों ने क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की है। इसके अतिरिक्त, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा क्षेत्र इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

फखरपुर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का खजाना है। इसके विभिन्न धार्मिक स्थल, मंदिर और मस्जिद इसे एक धार्मिक और पर्यटन स्थल बनाते हैं। इसके अलावा, फखरपुर में विभिन्न सामाजिक संगठनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने इसकी समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दिया है।

अंत में, फखरपुर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कस्बा है। इसका समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर, विविध समुदाय और सरकारी पहलों ने इसे आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना दिया है।

भौगोलिकता

  • फखरपुर भौगोलिकता

2011 की जनगणना के अनुसार, फखरपुर गांव का स्थान कोड या गांव कोड 172186 है। फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कैसरगंज तहसील में स्थित है। यह उप-जिले मुख्यालय कैसरगंज से 28 किलोमीटर और जिला मुख्यालय बहराइच से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। 2009 के आंकड़ों के अनुसार, फखरपुर एक ग्राम पंचायत भी है।

जनसांख्यिकी

  • फखरपुर जनसांख्यिकी

फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कैसरगंज तहसील में स्थित एक बड़ा गांव है, जहां कुल 441 परिवार रहते हैं। फखरपुर गांव की जनसंख्या 2468 है, जिनमें से 1319 पुरुष हैं जबकि 1149 महिलाएं हैं (2011 की जनगणना के अनुसार)।

फखरपुर गांव में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की जनसंख्या 379 है, जो गांव की कुल जनसंख्या का 15.36% है। फखरपुर गांव का औसत लिंग अनुपात 871 है, जो उत्तर प्रदेश राज्य के औसत 912 से कम है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, फखरपुर में बच्चों का लिंग अनुपात 763 है, जो उत्तर प्रदेश के औसत 902 से कम है।

फखरपुर गांव में साक्षरता दर उत्तर प्रदेश की तुलना में कम है। 2011 में, फखरपुर गांव की साक्षरता दर 55.34% थी, जबकि उत्तर प्रदेश की साक्षरता दर 67.68% थी। फखरपुर में पुरुषों की साक्षरता दर 60.05% है, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 50.05% थी।

भारत के संविधान और पंचायत राज अधिनियम के अनुसार, फखरपुर गांव का प्रशासन एक सरपंच (गांव प्रमुख) द्वारा किया जाता है, जो गांव का निर्वाचित प्रतिनिधि होता है।

इतिहास

  • फखरपुर इतिहास

फखरपुर कस्बा 2012 तक उत्तर प्रदेश की विधानसभा क्षेत्र था। जिसे 2012 में समाप्त कर दिया गया। अरुण वीर सिंह (सपा) और कृष्ण कुमार ओझा (बसपा) फखरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं।

खाना और पेय

  • फखरपुर खाना और पेय

फखरपुर में बहुत अच्छा खाना और पेय उपलब्ध हैं। जैसे - चिकन बिरयानी, कुलचा-केबाब, पूरी सब्जी, दहीवड़ा, चाट, पानी पूरी, आदि... रवि की चाट, ललन के समोसे, अली अहमद का हलवा पराठा, राजन की चाय, पुत्तन की चाय, लड्डन होटल का चना, सुंदर काका का खजूरीया, हामिद खान साहब की एक रुपए वाली चाय फखरपुर के प्रसिद्ध खाने-पीने की दुकानें हैं, जिनका फखरपुर में बड़ा महत्व है। इसके अलावा, यहां बहुत सारी और चीजें प्रसिद्ध हैं। खासकर, चिकन रोस्टेड (फ्राइड चिकन) जो।

प्रसिद्ध पान की दुकान

  • फखरपुर प्रसिद्ध पान की दुकान

आशोक पान वाले, जुबेर पान वाले, अमीर हमजा पान वाले, अकिल पान वाले, सत्येश पान वाले, आप फखरपुर शहर में कई और पान की दुकानें पाएंगे, जहां पान खाने के बाद आपको आनंद मिलेगा। किराने की दुकान की बात करें तो, कलीम किराना स्टोर जाएं। प्रमुख दुकानें जैसे रिजवान किराना स्टोर आदि बाजार की सुंदरता बढ़ाती हैं।

फखरपुर में मस्जिदें

# मस्जिद का नाम पता दूरी
01 थाने वाली मस्जिद फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.3 किमी
02 गौसिया मस्जिद खालिदपुर 0.5 किमी
03 मस्जिद उमर घासीपुर 0.8 किमी
04 जुमा मस्जिद मधवपुर 0.6 किमी
05 खारीहान वाली मस्जिद बाजार 0.9 किमी

फखरपुर में मंदिर

फखरपुर में मंदिर के बारे में

फखरपुर, जो बहराइच जिले में स्थित एक शहर है, अपने कई हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से ठाकुर दुआरा मंदिर सबसे प्रमुख है। इस मंदिर का इतिहास मुग़ल काल से जुड़ा हुआ है और यह सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। हर साल, होली, राम नवमी और अन्य हिंदू त्योहार इस मंदिर में धूमधाम से मनाए जाते हैं।

ठाकुर दुआरा मंदिर इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक उत्साह का प्रतीक है। इसकी वास्तुकला और पवित्रता दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करती है, जो आशीर्वाद और शांति की तलाश में यहाँ आते हैं। यह मंदिर आध्यात्मिक और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र बनता है, जो इसके दर्शनार्थियों में एकता और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है।

ठाकुर दुआरा मंदिर में वार्षिक उत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते; ये विश्वास और परंपरा के जीवंत Ausdruck हैं। लोग अनुष्ठानों में भाग लेने, प्रार्थना करने और त्योहार के माहौल में रंगीन अनुभव प्राप्त करने के लिए इकट्ठा होते हैं। हवा में मंत्रों, भजनों और अगरबत्ती की खुशबू से वातावरण में दिव्यता और खुशी का अहसास होता है।

धार्मिक महत्व से परे, मंदिर फखरपुर के सामाजिक ताने-बाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सभी पृष्ठभूमियों के लोगों के लिए एक बैठक स्थान के रूप में कार्य करता है, जो दोस्ती और सामंजस्य के बंधन को बढ़ावा देता है। इसके त्योहारों और अनुष्ठानों के माध्यम से, मंदिर समुदाय की सांस्कृतिक पहचान और स्वाभाविकता को मजबूत करता है।

ठाकुर दुआरा मंदिर का इतिहास और अनुष्ठान फखरपुर के लोगों के समर्पण और साहस की स्थायी भावना को दर्शाते हैं। यह उनके अडिग विश्वास और परंपराओं के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो उनके जीवन के ताने-बाने को आध्यात्मिकता और अर्थ से भर देता है।

सारांश में, ठाकुर दुआरा मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं है; यह एक जीवित प्रमाण है उस धरोहर और मूल्यों का जो सदियों से फखरपुर की पहचान को आकार देते रहे हैं। यह सभी को जो शांति और ज्ञान की तलाश में यहां आते हैं, प्रेरित और प्रोत्साहित करता है, भक्ति और समर्पण की शाश्वत सुंदरता का प्रतीक है।

# मंदिर का नाम पता दूरी
01 रामलीला मंदिर फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.4 किमी
02 ठाकुर दुआरा मंदिर बाजार 0.5 किमी
03 हनुमान जी मंदिर फखरपुर, उत्तर प्रदेश 1.0 किमी
04 आर्य समाज मंदिर फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.4 किमी

फखरपुर में दरगाह

फखरपुर में दरगाह के बारे में जानकारी

फखरपुर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित एक भव्य और प्राचीन शहर है। यह कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का घर है, जिसमें चार प्रमुख दरगाहें शामिल हैं: यासीन शाह, सतैयान पीर, दादा मियाँ, और बाबा ताहा। ये चार दरगाहें न केवल धार्मिक त्योहारों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि शहर के मेलों के केंद्र के रूप में भी कार्य करती हैं।

हर साल, उर्स समारोह के दौरान हजारों लोग इन चार दरगाहों की ओर खींचे जाते हैं। उर्स, एक धार्मिक त्योहार है, जिसे क़व्वाली, नात और सूफी संगीत के साथ मनाया जाता है। ये धार्मिक आयोजन बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं, जो व्यक्तियों को अपने माहौल में लपेट लेते हैं।

इन दरगाहों का इतिहास भी बहुत दिलचस्प है। इनमें से कई 17वीं और 18वीं शताब्दी में बनवाए गए थे, और इनसे जुड़ी हुई कई कथाएं और लोककथाएं हैं। ये स्थल केवल आध्यात्मिकता के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि स्थानीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी अभिन्न हिस्सा हैं।

इन दरगाहों के आस-पास के मेले स्थानीय और बाहरी वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। लोग यहां केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए नहीं आते, बल्कि विभिन्न कपड़े, गहने और स्नान सामग्री खरीदने के लिए भी आते हैं। इसके अतिरिक्त, वे स्थानीय भोजन और मिठाइयों का आनंद भी लेते हैं।

बहराइच सरकार के मेले और फखरपुर में स्थित इन चार दरगाहों के मेले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के बीच भी बहुत लोकप्रिय हैं। इन मेलों का आयोजन स्थानीय प्रशासन द्वारा किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह शांतिपूर्ण और सुरक्षित रहें।

समुदाय के लिए, ये मेले उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का अवसर प्रदान करते हैं। इन आयोजनों के दौरान, वे अपने परिवारों और दोस्तों के साथ अकेलापन का आनंद लेते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

उर्स, एक धार्मिक त्योहार होने के नाते, क़व्वाली, नात और सूफी संगीत के साथ मनाया जाता है। यह केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक नहीं है, बल्कि समाज में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो लोगों को सांस्कृतिक और धार्मिक आदर्शों को साझा करने के लिए एक साथ लाता है।

इन चार दरगाहों का इतिहास, कहानियों और समुदायों से गहरे जुड़े हुए हैं। इनके आस-पास कई प्राचीन कथाएँ और ऐतिहासिक कथाएं हैं, जो लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। ये स्थान स्थानीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के आवश्यक हिस्से हैं, जो आज भी लोगों की आध्यात्मिकता को व्यक्त करते हैं।

इन दरगाहों के आस-पास के मेले स्थानीय और बाहरी वाणिज्यिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोग यहां केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए नहीं आते, बल्कि विभिन्न कपड़े, गहने और स्नान सामग्री खरीदने के लिए भी आते हैं। इसके अतिरिक्त, वे स्थानीय भोजन और मिठाइयों का आनंद भी लेते हैं।

समुदाय के लिए, ये मेले उनके धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का अवसर प्रदान करते हैं। इन आयोजनों के दौरान, वे अपने परिवारों और दोस्तों के साथ अकेलापन का आनंद लेते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

इस प्रकार, फखरपुर की चार दरगाहों के मेले केवल आध्यात्मिकता और संस्कृति के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि समाज में एकता और सामंजस्य के भी प्रतीक हैं।

# दरगाह का नाम पता दूरी
01 दादा मियाँ (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.5 किमी
02 बाबा ताहा शाह (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 0.4 किमी
03 सतैयान पीर (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 1.0 किमी
04 यासीन शाह (र.अ.) फखरपुर, उत्तर प्रदेश 1.1 किमी

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